सूरजपुर के 100 से अधिक बच्चे महीनों से गायब, मां बोली- कोई मेरे बेटे को ढूंढ़कर ले आओ, चेन्नई और हैदराबाद में दो से तीन हजार में नाबालिग मजदूरों को बेच रहे हैं

सूरजपुर | जिले के चांदनी बिहारपुर इलाके के दर्जन भर से अधिक गांवों से करीब 100 से अधिक नाबालिग बच्चे और युवक महीनों से गायब हैं। इनमें पंडो समुदाय के दो नाबालिगों के माता-पिता अपने बच्चों को महानगरों में तीन तीन हजार रुपए में बेच देने का आरोप लगा रहे हैं। वहीं कुछ दिन पहले जिला बाल संरक्षण इकाई की टीम ने जब एक दलाल को पकड़ा था तो उसने भी इसका खुलासा किया था, लेकिन वह समय पर पुलिस के नहीं पहुंचने के कारण भाग गया था।
यहां ग्रामीणों ने बताया कि इलाके में ऐसा शायद ही कोई गांव होगा जहां से चार छह युवक और नाबालिग दो तीन और इससे अधिक महीनों से महानगरों में गए हुए हैं। उन्हें स्थानीय दलालों ने लेबर ठेकेदारों के पास पहुंचा दिया और इसके एवज में उन्हें कमीशन मिल गया। यहां के कोल्हुआ गांव निवासी फूलमती पंडों का 16 वर्षीय बेटा बृजेश और अजय पंडो को गांव के कांतिपुर निवासी नेपाल और मुनेश्वर पंडो अपने साथ ले गए।
दलालों ने इसकी जानकारी उनके परिजन को भी नहीं दी। इसकी शिकायत परिजन ने 11 नवंबर को चांदनी थाने में की। शिकायत करने के एक महीने पहले से नाबालिग लापता हैं। फूलमती पंडों ने अपने बेटे को ढूंढकर लाने की बात कही। इस घटना को तीन महीने से अधिक हो गए। लेकिन पुलिस उनका पता नहीं लगा सकी।
गांवों में जांच कर रही कर्मचारियों की टीम
चांदनी थाना के गांवों में बाल संरक्षण इकाई के कर्मचारी घर घर जाकर नाबालिगों के बारे में पता लगा रहे हैं। अब तक कई नाबालिगों को अच्छी मजदूरी दिलाने का झांसा देकर महानगरों में ले जाए जाने का पता चला है। अधिकारियों का कहना है कि वे इसके आकड़े का खुलासा जांच पूरा होने के बाद करेंगे।
महानगरों की चकाचौंध के झांसे से अंधेरी हो रही जिंदगी
जांच अधिकारियों ने बताया कि अब तक जांच में जो सामने आया है उसमें नाबालिगों को दलाल बड़े शहरों में काम और अधिक मजदूरी के साथ कम मेहनत का झांसा देते हैं। इसके साथ में ही महानगरों का सब्जबाग दिखाते हैं। इसके कारण फूलमती पंडो जैसी कई महिलाएं हैं जो महीनों से लापता बच्चों से बात करने के लिए तरस रही हैं।
12 हजार में से तीन हजार दलाल को मिलते हैं
दलाल ने फोन पर बताया कि वे जब यहां से मजदूर ले जाकर ठेकेदार के पास पहुंचाते हैं तो वहां प्रति दिन का चार सौ रुपए मजदूरी बनती है। इस पर प्रत्येक मजदूर पर उन्हें दो से तीन हजार रुपए कमीशन मिलता है। वहीं अगर दलाल भी साथ में रहकर मजदूरों की मॉनीटरिंग करता है तो हर महीने मजदूर के वेतन से काटकर दिया जाता है। एक अनुमान के मुताबिक इलाके से गायब करीब सौ नाबालिगों व युवकों पर हर महीने दलाल तीन लाख रुपए कमा रहे हैं।
मौत के बाद सक्रिय हुई बाल संरक्षण इकाई
चांदनी इलाके के एक नाबालिग मजदूर की हैदराबाद में मजदूरी के दौरान हादसे में मौत के बाद प्रशासन का जिला बाल संरक्षण इकाई सक्रिय हुआ। जबकि कोल्हुआ गांव की एक महिला ने थाने में भी नवंबर महीने में ही अनहोनी की आशंका जताते हुए आवेदन दिया था और उसकी सुनवाई नहीं हुई। बता दें कि अगर समय पर प्रशासनिक अधिकारियों ने ऐसे आवेदनों को गंभीरता से लिया होता तो हैदराबाद से उन्हें छुड़ाकर लाया जा सकता था।
बड़े गिरोह का होगा पर्दाफाश
जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल ने कहा कि अब तक आठ गांवों में हमारी टीम ने जांच पूरी कर ली है। वहीं बांक नदी के इलाके के सभी गांवों की जांच की जा रही है। इसमें एक सप्ताह का समय और लगेगा। इसके बाद पता चल सकेगा कि कितने नाबालिगों को महानगरों में ले जाया गया है। इसके बाद इसके बड़े गिरोह का पर्दाफाश होगा।