बलौदा बाजार : अपीलार्थी को गुमराह करना जनसूचना अधिकारी को पड़ा महँगा – छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग ने नगरपालिका के दो अधिकारियों पर किया 25-25 हजार का जुर्माना

बलौदाबाजार । छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग ने प्रकरण क्रमांक A/3393/2019 के सुनवाई दिनांक 15.02.2023 के दौरान बलौदाबाजार के अपीलार्थी नरेश गनशानी जिला प्रतिनिधि इस्पात टाइम्स के पक्ष में दिया अभूतपूर्व फैसला l सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत अपीलार्थी द्वारा चाही गयी जानकारी को देने में नगरपालिका बलौदाबाजार के तत्कालीन जनसूचना अधिकारी एवं उप अभियंता नेमीचंद वर्मा सहित संबंधित विभाग के तत्कालीन उप अभियंता भोलाराम पटेल बरत रहे थे कोताही जिस पर राज्य सूचना आयोग के आयुक्त धनवेन्द्र जायसवाल ने निर्णय लेते हुए संबंधित दोनों ही अधिकारियों को 25-25 हजार रुपये के अर्थ दंड से दंडित किया हैं तथा नगरीय प्रशासन को निर्देश दिया हैं कि ये राशि वसूली कर सरकारी खजाने मे जमा की जाये। उल्लेखनीय है कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत प्रत्येक नागरिक को अधिकार हैं कि वो शासन द्वारा संचालित किसी भी कार्यालय से निर्धारित मापदंडों के तहत जानकारी ले सकता है तथा शासन-प्रशासन के व्यवस्था के लिए पारदर्शिता अनिवार्य भी हैं और इससे भष्टाचार पर अंकुश भी लगाया जा सकता हैं।
अपने ही झूठ के बुने जाल में फंसी बलौदाबाजार नगरपालिका
मामला इस प्रकार है कि अपीलार्थी नरेश गनशानी ने 25 अप्रेल 2019 को नगरपालिका परिषद बलौदाबाजार के जनसूचना अधिकारी एवं उप अभियंता नेमीचंद वर्मा के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर पी.आई.सी. की बैठक दिनांक 4 जुलाई 2015 के प्रस्ताव क्रमांक 17 में पारित ग्रीष्म कालीन में पेयजल व्यवस्था हेतु चलाये गये ट्रेक्टर-टेंकर के भुगतान के संबंध में जानकारी चाही थी l समयावधि में जानकारी नहीं मिलने पर अपीलार्थी द्वारा 28 मई 2019 को प्रथम अपीलीय अधिकारी एवं मुख्य नगरपालिका अधिकारी शीतल चंद्रवंशी के समक्ष अपील प्रस्तुत की गई जिस पर बिना सुनवाई के दिनांक 26 जुलाई 2019 को जनसूचना अधिकारी ने अपीलार्थी को वर्ष 2015-16 का कार्य आदि बताकर संबंधित नस्ती गुम होने का वास्ता देते हुए केवल कूटरचना से मनगढ़त औपचारिक पत्र स्थानीय पुलिस थाना सिटी कोतवाली बलौदाबाजार को दिनांक 18 जुलाई 2019 को दिया गया l
अपीलार्थी एवं आयोग को नस्ती गुम का बहाना बनाकर किया जा रहा था गुमराह
असंतुष्ट होकर अपीलार्थी ने 18 सितंबर 2019 को द्वितीय अपील राज्य सूचना आयुक्त के समक्ष की जिस पर अपीलार्थी ने आयोग को बताया कि पूर्व प्रकरण क्रमांक A/945/2020 की भांति नगरपालिका के जनसूचना अधिकारी द्वारा फिर से नस्ती गुम हो जाने का फर्जी बहाना बनाकर आयोग और अपीलार्थी को गुमराह किया जा रहा और वर्ष 2010-11 के कार्य को 2015-16 बताकर भ्रमित किया जा रहा जिसका की कुल राशि 23,60,338/- रुपयों का भुगतान दिनांक 27 फरवरी 2016 को ठेकेदार नितेश शर्मा को किया जा चुका है l आयोग के समक्ष अपीलार्थी ने सारे साक्ष्य प्रस्तुत कर एफ.आई.आर. कराने की मांग की जिसे आयोग के आयुक्त द्व एम. के. राऊत व ए. के. अग्रवाल ने गंभीरता से लेते हुए दिनांक 14.01.2021, दिनांक 03.06.2021 एवं 04.08.2022 के आदेश में जनसूचना अधिकारी को नस्ती गुम होने हेतु की गई पुलिस शिकायत के परिपेक्ष्य में एफ.आई.आर. दर्ज कराकर प्रति आयोग के समक्ष जमा करे, उसके बावजूद आज पर्यन्त तक उक्त संबंध में एफ.आई.आर. नहीं कराई गई जिससे आयोग के आदेश की अवमानना व भ्रम, झूठ फैलाकर अपीलार्थी सहित आयोग को भी गुमराह करना सिध्द हो गया l
छ.ग.राज्य सूचना आयोग के आदेश के बावजूद जनसूचना अधिकारी 46 माह से नस्ती गुम का बहाना बताकर एक एफ.आई.आर. तक नहीं करा पाये
लगभग 46 माह से आवेदित पत्र पर नस्ती गुम हो जाने का एक एफ.आई.आर. तक नगरपालिका बलौदाबाजार नहीं करा पाई चूंकि प्रारम्भ से ही संबंधित विभाग जानबूझकर वर्ष 2010-11 के कार्य को वर्ष 2015-16 में बदलकर फंस चुका था, चूंकि वर्ष 2015-16 में उक्त कार्य हुआ ही नहीं था जिसका कि प्रमाण नगरपालिका दे पाती और एफ.आर.आर. करा पाती, नगरपालिका के अधिकारी समझ चुके थे कि यदि एफ.आई.आर. होगी तो झूठें अपराध में वे खुद फसते चले जायेंगे l छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग ने इस मामले में तत्कालीन जनसूचना अधिकारी नेमीचंद वर्मा वर्तमान में उप अभियंता नगरपालिका समोदा व संबंधित विभाग के उप अभियंता भोलाराम पटेल वर्तमान पदस्थापना नगरपालिका निगम जगदलपुर जिला बस्तर दोनों ही अधिकारियों को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए 25-25 हजार रुपये के अर्थ दंड से दंडित किया गया हैं।
अपीलार्थी नरेश गनशानी ने मिडिया के समक्ष बताया कि नगरपालिका बलौदाबाजार द्वारा वर्ष 2010-11 में पेयजल व्यवस्था हेतु टेंकर-ट्रेक्टर का टेंडर ठेकेदार नितेश शर्मा को दिया था जिसके भुगतान के संबंध में ठेकेदार ने प्रदेश सचिव नगरीय प्रशासन रायपुर को पत्र लिखा था जिसे सचिव महोदय ने प्रकरण को निरस्त कर दिया था जिसे कार्य प्रगति के ऑनलाइन में क्रमांक 1840 वर्ष 2012-13 में लगाया था l
ऑनलाइन एंट्री अनुसार उक्त प्रकरण को दिनांक 23.04.2012 को निरस्त किया जा चुका था उसके बावजूद नगरपालिका बलौदाबाजार द्वारा दिनांक 27.02.2016 को 23,60,338/- रूपये की इतनी बड़ी राशि का भुगतान ठेकेदार नितेश शर्मा को किये जाने से प्रतीत होता है कि पालिका के अधिकारियों ने उक्त प्रकरण में भारी भ्रष्टाचार किया गया है एवं किये गये भ्रष्टाचार को उजागर होने के डर से नस्ती गायब कर दी गई और अपीलार्थी और आयोग को कई तरह से झूठ, भ्रामक कहानी बनाकर कूटरचना रची गई जिससे अपने बुने जाल में नगरपालिका खुद फंस गई और संबंधित दोनों अधिकारियों को 25-25 हजार के अर्थ दंड से दंडित होना पड़ा l