भूपेश सरकार के पुरे हुए 1 साल: गांव और किसानों को जोड़ा, हरेली-तीज का नया उत्साह, 450 करोड़ की बिजली भी बांटी

भूपेश सरकार के पुरे हुए 1 साल: गांव और किसानों को जोड़ा, हरेली-तीज का नया उत्साह, 450 करोड़ की बिजली भी बांटी

रायपुर : पिछले साल 17 दिसंबर को शपथ लेने वाली भूपेश बघेल सरकार ने सालभर में धान खरीदी पर 21 हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं। किसानों के साथ-साथ शहरियों को भी बिजली बिल हाफ के जरिए 450 करोड़ रुपए से ज्यादा की बिजली बांट दी गई है। सालभर में भूपेश सरकार ने अफसरों पर लगाम कसने के लिए ताबड़तोड़ तबादले किए। सभी विभागों के प्रमुख बदल दिए गए। नरवा गरवा घुरुवा बारी के लिए 4000 करोड़ रुपए का फंड देकर प्रदेश के लगभग 80 फीसदी किसानों और ग्रामीणों से सीधे जुड़ने का रास्ता तलाश लिया है।

खुद सीएम भूपेश ने हरेली, तीजा-पोरा की छुट्टियों के साथ प्रदेश के ग्रामीण अंचल के त्योहारों से सरकार को जोड़कर ग्रामीणों का शासन के प्रति नजरिया भी बदला है। अब भी सीएम भूपेश के नेतृत्व वाली सरकार ठेठ छत्तीसगढ़िया को सहारा बनाकर नवा छत्तीसगढ़ की दिशा में काम कर रही है। गांवों के बाजारों में हाट क्लीनिक की लांचिंग भी गांव-गरीब को जोड़ने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।

सरकार को छत्तीसगढ़िया टच देने में सबसे बड़ी भूमिका सीएम भूपेश की ही रही है। एक साल के भीतर उन्होंने एक ओर जहां तीजा- हरेली की छुट्‌टी दी तो पाेरा और गोवर्धन पूजा जैसे त्योहार सरकारी तौर पर मनाकर गांव-गांव में बड़ा संदेश दिया है। अपने हथेलियों पर भौंरा चलाने का हुनर और गेड़ी पर चढ़कर नृत्य के जरिए भूपेश अपनी सरकार को आम लोगों के बिलकुल नजदीक ले जाने में कामयाब हुए हैं। नरवा, गरवा, घुरवा, बारी के साथ 25 सौ में धान खरीदी, कर्जामाफ, बिजली बिल हाफ, हाट बाजार, लोहंडीगुड़ा में जमीन वापसी, तेंदूपत्ता संग्रहण की दर में बढ़ोतरी जैसी अनेक योजनाओं के साथ गांव के लोगों को साधने का काम किया।

सीएम भूपेश :  हर हाथ को काम, नक्सलवाद खुद ही खत्म हाे जाएगा: भूपेश
वैसे एक साल का कार्यकाल किसी तरह के ऑब्जरवेशन के लिहाज से कम समय है। पिछली रमन सरकार शोशेबाजी के दम पर 15 साल टिकी रही। वो 20 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता की बात करते रहे, जबकि हमारी क्षमता ही 11 लाख हेक्टेयर है। नक्सल समस्या के लिए कुछ नहीं किया। हमारा रोडमैप है ‘विश्वास के साथ विकास’।

विश्वास जीतने हम ग्रामीण बेरोजगारों को रोजगार दे रहे हैं। ई-टेंडरिंग बंद की, सड़कों को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर बना रहे हैं, ताकि युवाओं काे रोजगार मिले। इससे सालभर में नक्सल घटनाओं में 50% कमी आई है। यही हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है। राेजगार से नक्सलवाद खुद ही खत्म हाे जाएगा।

…और चुनौतियां जो सामने खड़ी हैं

नक्सल समस्या से निपटने की ठोस रणनीति अब तक नहीं बनी।

सिर्फ इस बार नहीं, हर साल 2500 रुपए में खरीदना होगा धान।

देवभोग हीरा खदान व सोना समेत आय बढ़ाने वाली खनन नीति।

ओबीसी,एससी-एसटी आरक्षण में खुद किए संशोधन पर अमल।

प्रदेश को घाटे से उबारने, आय बढ़ाने वाली योजनाओं पर काम।

प्रदेश में 40 लाख बेरोजगार, इनके लिए ठोस नीति की जरूरत।