रायपुर के कारोबारी प्रवीण सोमानी का अपहरण की पप्पू चौधरी गिरोह ने सूरत जेल में रची थी साजिश, तीन माह रेकी की, 14 दिन बाद यूपी से छुड़ाए गए

रायपुर | राजधानी रायपुर से 14 दिन पहले अपहृत उद्योगपति प्रवीण सोमानी को रायपुर पुलिस ने उत्तरप्रदेश के फैजाबाद-सुल्तानपुर के बीच बुधवार तड़के 4 बजे छुड़ा लिया है। पांच राज्यों की पुलिस के ज्वाइंट ऑपरेशन में अपहरणकर्ता पप्पू चौधरी गिरोह दबाव में आ गया था। पुलिस ने जब अंबेडकर नगर में छापा मारा तो गिरोह के सदस्य प्रवीण को लेकर वहां से भाग गए। उसे बेसुध हालत में एक झोपड़ी में छोड़ गए। जहां यूपी और बिहार पुलिस के मदद से प्रवीण को रिहा किया गया।
सूरत जेल में रची थी अपहरण साजिश
उद्योगपति के अपहरण की साजिश गुजरात सूरत की जेल में रची गई। पप्पू और मुन्ना के अलावा दो और गिरोहबाज अलग-अलग हत्या के केस में वहां चार-पांच साल बंद रहे। उसी दौरान उन्होंने कोई बड़ा हाथ मारने की प्लानिंग की। पप्पू पहले चंदन सोनार गैंग का सदस्य रह चुका था। इसलिए उसने अपहरण का प्लान बनाया। करीब छह महीने पहले पप्पू, मुन्ना और दो अन्य थोड़े थोड़ अंतराल में जमानत पर छूटे और बाहर आकर उन्होंने सोमानी के अपहरण का प्लान बनाया।
जेल से छूटने के बाद पप्पू रायपुर आया। यहां वह पहले भी आ चुका था। दौंदे में उसका रिश्तेदार अरुण में रहता है। अरुण के जरिये उसे पता चला कि सिलतरा में बड़े बड़े उद्योगपति रहते हैं। उनसे मोटी रकम वसूली जा सकती है। उसके बाद पप्पू ने अपने साथियों को पूरी जानकारी दी। फिर उन्होंने गूगल से सर्वे किया कि यहां कौन कौन बड़े उद्योगपति हैं जो मालदार हैं। उसके बाद ही उन्होंने प्रवीण का चयन किया। प्रवीण का अपहरण करना तय होने के बाद उन्होंने करीब तीन महीने तक उसकी रेकी की। फैक्ट्री और घर तक उसका पीछा किया। ये भी देखा कि वह कहां कहां आता जाता है। 8 जनवरी की शाम प्रवीण जब फैक्ट्री से निकले तब दो कारों में उन्होंने उसका पीछा किया और वहीं फैक्ट्री के पास शारडा एनर्जी के करीब उनकी कार रोकी और खुद को ईडी का स्टाफ बताकर उनकी गाड़ी में बैठ गए। कुछ दूर जाने के बाद उन्हें अपनी कार में बिठाकर ले गए।
- अपहरणकर्ताओं ने वारदात के चौथे दिन से फिरौती के लिए कॉल करना शुरू कर दिया था।
- उन्होंने प्रवीण से पत्नी का नंबर लिया और सीधे उसी से बात की।
- कॉल करने के लिए अपहरणकर्ता गैंग का एक सदस्य
- हरियाणा के सोमानी से फोन किया। दूसरा कॉल बिहार वैशाली से किया।
- फिर यूपी के अलग-अलग शहरों से कॉल आने लगे।
- हर बार फोन करने वाला अलग होता और नंबर भी नया रहता था।
गिरोह के सरगना पप्पू चौधरी के रिश्तेदार दोंदेकला के अनिल चौधरी और मुन्ना नायक (ओडिशा) को भी दबोच लिया गया। रिहा करते ही रायपुर पुलिस सोमानी और अपहर्ताओं को लेकर रायपुर के लिए रवाना हुई। एसएसपी शेख आरिफ हुसैन खुद प्रवीण को लाने दिल्ली गए थे। वे प्रवीण की पत्नी को अपने साथ ले गए थे, जो बुधवार रात 12.05 बजे सभी यहां पहुंच गए।
डीजीपी डीएम अवस्थी ने आधी रात प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि उद्योगपति सोमानी को रिहा करवाने में पुलिस का जबर्दस्त दबाव काम आया है। यह पहला मौका है, जब अपहरण की जांच और छापेमारी के लिए रायपुर एसएसपी आरिफ शेख खुद दो दिनों तक बिहार में ही डटे रहे। पुलिस ने बताया कि गुजरात सूरत की जेल में अपहरण की प्लानिंग की थी। तीन महीने अपने रिश्तेदार लोकल नेटवर्क के माध्यम से पप्पू ने रेकी की। उसके बाद वह आठ लोगों के साथ रायपुर आया और 8 जनवरी बुधवारी की शाम फैक्ट्री से निकलते ही ईडी का अधिकारी बताकर प्रवीण को रोक लिया। जांच के हवाला देकर उन्हें गाड़ी में बैठाकर ले गए।
ओडिशा में छापे के बाद मिला क्लू
पड़ताल के दसवें दिन पुलिस को ओडिशा गंजम के एक युवक संदेही का क्लू मिला। एएसपी तारकेश्वर पटेल के नेतृत्व में टीआई रमाकांत साहू की टीम को वहां भेजा गया। जहां मन्नू को उठाया गया। जब सख्ती से पूछताछ की गई तो उसने प्रवीण को छिपाने का ठिकाना बता दिया। उसके बाद पुलिस ने ऑपरेशन प्लान किया और यूपी में तीन राज्यों की पुलिस के साथ मंगलवार रात ऑपरेशन शुरू किया गया।
अपहरण से छूटने तक की कहानी एसएसपी आरिफ शेख की जुबानी
8 जनवरी बुधवार की रात लगभग 2 बजे प्रवीण के गायब होने की सूचना मिलते ही हमने तलाश शुरू कर दी। 9 जनवरी की शाम तक हमारे पास प्रवीण सोमानी की फैक्ट्री के बाहर लगे कैमरे से दो सफेद कारों के धुंधले फुटेज थे। फुटेज में एक कार लंबी अौर दूसरी क्रेटा टाइप गाड़ी ठीक प्रवीण की गाड़ी के पीछे नजर आ रही थी। उन्हीं कारों का फुटेज परसूलीडीह में जहां प्रवीण की कार मिली थी, वहां के कैमरे से मिले। बस इसी क्लू से तलाश आगे बढ़ी।
एक कार के फुटेज में बिलासपुर सीरीज का सीजी-10 था। उसी संदिग्ध कार की तलाश में बिलासपुर और कवर्धा टीम भेजी गई। बेमेतरा के पास एक कैमरे में वही कार नजर आई। इससे हमें ये पता चल गया कि हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। आगे बढ़ने पर कवर्धा के टोल प्लाजा में फिर कार दिखी। टीम फिर आगे बढ़ी। रास्तेभर रोड और टोल प्लाजा के कैमरे खंगालने पर इलाहाबाद में उसी कार का नंबर नजर आया। इलाहाबाद से करीब 40 किलोमीटर दूर सोमानी की कार का फुटेज मिला। उसके बाद तीन रास्ते थे। तीनों रास्ते में कई किलोमीटर तक फुटेज खंगाले गए, लेकिन कार नजर नहीं आई।
हमारी जांच एक तरह से वहीं ठिठक गई। उसके बाद हमने करीब 5 लाख मोबाइल नंबरों को खंगाला। बस, ट्रेन और एयरपोर्ट के एक-एक यात्री का टिकट चेक करवाया। दो महीने पहले तक का रिकार्ड खंगाला गया। दोनों संदिग्ध कारों के नंबर गलत थे। एक गाड़ी का नंबर बिलासपुर पासिंग था, जबकि दूसरा रायपुर का था, लेकिन किसी ट्रेवल एजेंसी की कार थी। इस बीच मोबाइल नंबरों को खंगालने से दो संदिग्ध नंबर मिले। प्रवीण के गायब होने के दौंदे का एक संदिग्ध अनिल चौधरी हमारे हाथ आ गया। हमने उसके परिवार वालों तक को पता नहीं लगने दिया कि पप्पू का रिश्तेदार हमारे कब्जे में है।
उसी से पूछताछ के बाद एक के बाद गैंग के सभी सदस्यों के नाम पता चल गए। रविवार की रात ओडिशा में गैंग का सबसे अहम सदस्य मन्नू पकड़ में आया। उसी को लेकर हम फैजाबाद यूपी पहुंचे और बुधवार को सुबह 4 बजे प्रवीण को छु़ड़ाया। प्रवीण उस समय अर्धबेहोशी की हालत में था। उसे पता भी नहीं था कि हम पहुंच गए हैं। काफी देर बाद उसे होश आया। हम जब उसे लेकर लखनऊ जा रहे थे, तब पप्पू के गैंग वाले परिवार वालों को धमकी भरे फोन कर पैसे मांग रहे थे।