छत्तीसगढ़: धान के दाम को लेकर केंद्र और राज्य आमने-सामने; मुख्यमंत्री बोले- तो फिर जंग ही सही

रायपुर (एजेंसी) | छत्तीसगढ़ में धान खरीदी का मुद्दा गरमाता जा रहा है। केंद्र सरकार ने अधिक दर पर सेंट्रल पूल में धान खरीदने से इनकार कर दिया है। हालांकि, राज्य सरकार इसको लेकर केंद्र से पत्राचार भी कर रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को ट्वीट कर साहिर लुधानवी के शेर के साथ केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने सीएम बघेेल से पूछा है कि क्या उन्होंने केंद्र सरकार से पूछकर अपने चुनावी घाेषणापत्र में किसानों से वादा किया था।
सोशल मीडिया बन रही सवालों-जवाबों के साथ युद्ध का मैदान
2500 रुपए प्रति क्विंटल धान खरीदने काे लेकर राज्य सरकार और केंद्र की सरकार आमने-सामने आ गए हैं। राज्य जहां दाम कम करने के लिए तैयार नहीं है, वहीं केंद्र बढ़े हुए दाम पर उसे लेने के लिए तैयार नहीं है। इसको लेकर राज्य में कांग्रेस और भाजपा नेताओं के बीच रार बढ़ता जा रहा है।
हम अम्न चाहते हैं मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़
गर जंग लाज़मी है तो फिर जंग ही सही– साहिर लुधियानवी
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) November 6, 2019
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट किया कि, “हम अमन चाहते हैं मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ, गर जंग लाजमी है तो फिर जंग ही सही”। वहीं राज्य सरकार किसानों से हस्ताक्षर कराकर पीएम को सौंपने की तैयारी कर रही है।
भाजपा ने भी किया राज्य सरकार पर पलटवार
केंद्रीय राज्यमंत्री व सरगुजा सांसद रेणुका सिंह ने कहा कि कांग्रेस सरकार को राज्य का बजट ध्यान में रखकर समर्थन मूल्य तय करना था। केंद्र सरकार की आड़ लेकर बहानेबाजी नहीं की जा सकती है।
भोले-भाले किसान भाइयों से झूठे वादे करके सत्ता हासिल करने वाले आज अपनी नाकामी छिपाने धमकी की राजनीति पर उतर गए हैं जो शर्मनाक है।
“पुरानी कश्ती को पार लेकर फ़क़त हमारा हुनर गया है,
नए खिवैया कहीं न समझें नदी का पानी उतर गया है”#ठगो_किसान_भाई_मन_ला https://t.co/3OOEkRmwdW— Dr Raman Singh (@drramansingh) November 6, 2019
दूसरी ओर रमन सिंह ने फेसबुक पर सरकार से सवाल किया है कि क्या आपने घोषणा पत्र में किसानों से वादा करने से पूर्व केंद्र सरकार से अनुमति ली थी या सिर्फ किसानों को बहलाने के लिए यह योजना बनाई थी। साथ ही सीएम के ट्वीट के जवाब में ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘पुरानी कश्ती को पार लेकर फकत हमारा हुनर गया है, नए खिवैया कहीं न समझें नहीं का पानी उतर गया है’।