छत्तीसगढ़: ऑनलाइन रकबा के आधार पर होगी धान की खरीदी किसानों ने कहा- बारिश से 15 दिन पिछड़ गई फसल

छत्तीसगढ़: ऑनलाइन रकबा के आधार पर होगी धान की खरीदी किसानों ने कहा- बारिश से 15 दिन पिछड़ गई फसल

कोरबा (एजेंसी) | जिले में भी मानसून के देर से सक्रिय होने और अक्टूबर में रुक- रुककर हुई बारिश से धान की फसल 15 दिन पिछड़ गई है। अभी पठार जमीन में लगी धान की फसल को किसान काटने लगे हैं। राज्य शासन ने खेती में देरी को देखकर 15 नवंबर के बजाय 1 दिसंबर से धान खरीदी करने का निर्णय लिया है। साथ ही 31 जनवरी के बजाय 15 फरवरी तक धान की खरीदी की जाएगी। इस बार ऑनलाइन रकबा के आधार पर ही खरीदी होगी।

पंजीयन के समय ही किसानों को रकबा बताना पड़ रहा है। पंजीयन के लिए एक 1 से 7 नवंबर तक समय दिया था, लेकिन तीन दिन लगातार छुट्‌टी होने से सोमवार से 4 दिन ही मौका मिलेगा। इस साल धान की फसल का रकबा 95,260 हेक्टेयर है। इसमें 67,260 हेक्टेयर में बोनी पद्धति से और 28 हजार हेक्टेयर में रोपा पद्धति से खेती कर रहे हैं।

मानसून जून के अंतिम हफ्ते में सक्रिय होने के बाद बीच में भटक गया। इससे किसान समय पर बोनी नहीं कर सके। कई किसान 145 दिन में तैयार होने वाली धान की फसल लेते हैं। इससे अभी खेतों में फसल पूरी तरह नहीं पकी है। वनांचल के किसान ही कम समय में पकने वाले धान की फसल लेते हैं। इसमें पाली, पोड़ी-उपरोड़ा और कोरबा ब्लॉक के किसान हैं। राज्य शासन ने 2,500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदी करने का निर्णय लिया है। इससे धान बेचने पंजीयन कराने वालों की संख्या 27,414 तक पहुंच गई है। इनका रकबा 49,194 हेक्टेयर है। 4 दिनों में संख्या और बढ़ेगी। 15 दिन के बाद ही धान की कटाई में तेजी आएगी।

करतला: दिसंबर में ही करते हैं धान की बिक्री

ब्लॉक आधा क्षेत्र मैदानी व आधा वनांचल है। हाथियों के उत्पात से अधपकी फसल काटी जा रही है। नवापारा के परमेश्वर राठिया ने कहा अक्टूबर में बारिश होने से खेतों में नमी है। हालांकि यहां धान बेचने दिसंबर में ही समिति जाते हैं। बिसेराम राठिया व इतवार सिंह ने कहा अभी कुछ ही किसान धान की कटाई कर रहे हैं। अमलडीहा के मुन्ना लाल ने कहा धान पक चुकी है पर पौधे हरे हैं। मौसम साफ हाेने के बाद कटाई करेंगे। इस ब्लॉक में 1240.4 मिमी बारिश हुई है।

पाली: अभी खेतों में नमी, बदले मौसम से नुकसान

पाली ब्लॉक दो सालों से सूखे की चपेट में था। इस साल यहां रिकॉर्ड बारिश हुई। 4 माह में 1660.7 मिमी बारिश हुई। इससे खेत जलमग्न हो गए थे। बक्साही के चक्रधर सिंह ने कहा देर से बारिश हुई। अभी खेत में नमी है, इससे कटाई नहीं कर पा रहा हूं। मौसम के कारण नुकसान हुआ है। छिंदपारा के गुलाब यादव ने कहा अक्टूबर में बारिश से खेती पिछड़ गई। इतवार सिंह यादव ने कहा अधिक बारिश से फसल खराब हो गई है। धान काटने के बाद सुखाना पड़ता है।

किसान गेंदलाल का कहना है कि पहले दिवाली के बाद धान कटाई तेजी से चलती थी। इस बार कुछ ही किसान धान कटाई कर रहे हैं। 15 से 20 दिन खेती पिछड़ गई है। आनंद राम पाटले ने कहा कि धान बेचने के लिए दिसंबर या जनवरी में ही खरीदी केंद्र जाते थे। पहले भी 15 नवंबर से धान खरीदी होती थी। तिथि बढ़ने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

कटघोरा: अब तक किसान कटाई शुरू कर देते थे

यह ब्लॉक वनांचल से घिरा है। यहां धान की फसल पहले तैयार हो जाती है, लेकिन इस बार देरी हो गई है। कृषि विस्तार अधिकारी आरके नेटी का कहना है कि खेत में नमी होने के कारण कम से कम अभी एक हफ्ते बाद ही कटाई शुरू हो पाएगी। मिंजाई में भी समय लगेगा। अमलीबहरा के किसान चंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि धान बेचने के लिए नवंबर के अंतिम हफ्ते में ही जाते हैं। इस साल मौसम को देखते हुए चिंता बढ़ गई है।

जानिए धान खरीदी के लिए शासन की व्यवस्था

1. प्रति एकड़ 15 क्विंटल के हिसाब से धान की खरीदी होगी। इस हिसाब से एक हेक्टेयर में 37 क्विंटल धान बेच सकेंगे। अधिक रकबा होने पर इसके हिसाब से ही मात्रा बढ़ती जाएगी।

2. एक समिति में तराजू बाट के हिसाब से खरीदी होती है। इसकी वजह से 700 से 800 क्विंटल एक दिन में धान की खरीदी करते हैं। किसानों की संख्या के हिसाब से 50 से 100 क्विंटल तक धान ला सकेंगे।

3. पहले धान बेचने के लिए किसानों को विवाद करने की नौबत आ जाती थी। इसकी वजह से टोकन सिस्टम लागू की गई है। इसी के आधार पर मात्रा और दिन तय रहता है। इससे किसानों को सहूलियत होगी।

4. खरीदी के 24 से 48 घंटे के भीतर किसानों के बैंक खातों में पैसा ट्रांसफर हो जाएगा। जितनी मात्रा है उसके हिसाब से समिति के प्रभारी पावती देंगे। किसान दूसरे या तीसरे दिन अपना पैसा निकाल सकेंगे।

ऑनलाइन रकबा से नहीं रहती गड़बड़ी की गुंजाइश

जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के नोडल अधिकारी एके जोशी का कहना है कि जिस समय किसान पंजीयन कराते हैं, उसी समय धान बेचने का रकबा भी दर्ज कर लिया जाता है। इसके आधार पर खरीदी होती है। इससे गड़बड़ी की संभावना नहीं रहती। राजस्व विभाग दर्ज रकबा और खसरे की जांच के बाद ही धान बेचने की अनुमति देता है।